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666 का क्या अर्थ है?

 666 का क्या अर्थ है?

What is the meaning of 666?


प्रकाशितवाक्य अध्याय 13 का अन्त, पशु (मसीह विरोधी) और उसके झूठे भविष्यद्वक्ता के ऊपर चर्चा करता है, जहाँ हम ऐसा पढ़ते हैं, "ज्ञान इसी में है : जिसे बुद्धि हो वह इस पशु का अंक जोड़ ले, क्योंकि वह मनुष्य का अंक है, और उसका अंक छ: सौ छियासठ है" (वचन 18)। किसी तरह, सँख्या 666 पशु की पहचान के लिए एक संकेत है। प्रकाशितवाक्य 13 में "पशु के अंक" (वचन 16-17) का उल्लेख मिलता है और लोकप्रिय विचार अक्सर इस अंक को 666 के साथ जोड़ता है; यद्यपि, पशु का चिन्ह अर्थात् अंक और 666 दो भिन्न बातों के प्रगट होने का आभास देते हैं। पशु की छाप कुछ ऐसी बात है जिसे लोगों को कुछ भी खरीदने और बेचने के लिए प्राप्त करनी चाहिए। सँख्या 666 किसी तरह से पशु/मसीह विरोधी के साथ "उसके" अंक के रूप में जुड़ी हुई है। नि:सन्देह, उसका अंक उसकी छाप का अंश हो सकती है, परन्तु बाइबल एक निश्‍चित सम्पर्क को प्रदान नहीं करती है।


666 का अर्थ एक रहस्य है और ऐसा प्रतीत होता है कि प्रेरित यूहन्ना, पवित्र आत्मा की प्रेरणा के अधीन लिखने के कारण इसे ऐसे ही लिखने की मंशा रखता है। इसकी गणना करते हुए, यूहन्ना कहता है कि इसके लिए, "ज्ञान" की आवश्यकता होती है। कुछ, लोग ज्यामिति विज्ञान का उपयोग करते हुए (किसी नाम या शब्द के प्रत्येक अक्षर को सँख्यात्मक मान निर्दिष्ट करते हुए और फिर कुल सँख्या तक पहुँचने के लिए सँख्याओं को जोड़ते हैं) ने विश्‍व के इतिहास में विभिन्न लोगों के रूप में मसीह विरोधी की पहचान की है। कुछ लोकप्रिय लक्ष्य "कैसर नीरो", "रोनाल्ड विल्सन रीगन," "मिखाइल गोर्बाचेव" और रोमन कैथोलिक इतिहास के विभिन्न पोप रहे हैं। किसी व्यक्ति के नाम को 666 के साथ जोड़ने के लिए कुछ लोग आश्चर्यजनक रीति से बहुत दूरी तक चले जाते हैं। यदि पर्याप्त गणितीय व्यायाम को लागू किया जाए तो किसी भी नाम को 666 से वास्तविक रूप में जोड़ा जा सकता है।


रूचिपूर्ण बात यह है कि प्रकाशितवाक्य की पुस्तक की कुछ प्राचीन यूनानी पाण्डुलिपियों में, सँख्या 666 के स्थान पर 616 के रूप में दी गई है। पाण्डुलिपि आधारित प्रमाण 666 के पक्ष अधिक दृढ़ता से पाए जाते हैं, परन्तु 616 के वैकल्पिक को पठ्न की गणना करने से पहले हमें थोड़ी देर के लिए रूकना चाहिए।


अंक 666 किसी तरह से पशु की पहचान करेगा, परन्तु 666 का अंक पशुओं के साथ कैसे जुड़ा हुआ है, यह प्रकाशितवाक्य 13:18 का मुख्य सार नहीं है। परमेश्‍वर और उसकी पूर्णता के सन्दर्भ में बाइबल अक्सर सँख्या 7 का उपयोग करता है। सँख्या 6 को मनुष्य के लिए सोची गई है, जिसे छठे दिन बनाया गया था और जो सदा के लिए परमेश्‍वर की "महिमा से रहित" हो गया है। पशु/मसीह विरोधी परमेश्‍वर की तरह होने का प्रयास करेगा। वह कदाचित् परमेश्‍वर होने का भी दावा करेगा। परन्तु, जैसा कि सँख्या 6 सँख्या 7 से कम हो जाती है, वैसे ही पशु/मसीह विरोधी, अपनी छह के "त्रिएकत्व" के साथ, अन्त में परमेश्‍वर को पराजित करने के प्रयास में विफल हो जाएगा।


Source: gotquestion.org



इस्राएल के राजा के लिए नियम (Law for Israel's King)


  1. वह एक यहूदी होना चाहिए (व्यवस्थाविवरण 17:15) 

  2. वह अपने लिए व्यवस्था की एक प्रति लिखे/रखे (व्यवस्थाविवरण 17:18)

  3. वह अपने जीवन के सभी दिनों में व्यवस्था की अपनी प्रति पढ़े (व्यवस्थाविवरण 17:19)

  4. वह यहोवा का भय माने (व्यवस्थाविवरण 17:19)

  5. वह व्यवस्था के सभी वचनों का पालन करे (व्यवस्थाविवरण 17:19)

  6. अपने राज्य में न तो वह और न ही लोग घोड़ों की संख्या बढ़ाएं (व्यवस्थाविवरण 17:16)

  7. मिस्र के लिए वह वापस नहीं लौटेगा (व्यवस्थाविवरण 17:16)

  8. वह अपने लिए पत्नियां नहीं बढ़ाए (व्यवस्थाविवरण 17:17)

  9. वह अपने लिए चांदी और सोना नहीं बढ़ाए (व्यवस्थाविवरण 17:17)

10. वह अपने लोगों के ऊपर से मन नहीं हटाएगा (व्यवस्थाविवरण 17:20)

11. वह परमेश्वर की आज्ञाओं से नहीं हटाएगा (व्यवस्थाविवरण 17:20)


Source : MacArthur Bible Commentary.

ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜାଙ୍କ ପାଇଁ ବ୍ୟବସ୍ଥା (Law for Israel's King)

 ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜାଙ୍କ ପାଇଁ ବ୍ୟବସ୍ଥା

(ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧୭:୧୪-୨୦)


  1. ସେ ନିଶ୍ଚୟ ଯିହୂଦୀ (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧୭:୧୫)

  2. ସେ ନିଜ ପାଇଁ ଏକ ପୁସ୍ତକରେ ବ୍ୟବସ୍ଥାରୁ ଉତ୍ତାରି ଲେଖି ରଖିବ (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ  ୧୭:୧୮)

  3. ସେ ଯାବଜ୍ଜୀବନ ସେହି ପୁସ୍ତକକୁ ନିକଟରେ ରଖି ପାଠ କରିବେ (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧୭:୧୯)

  4. ସେ ସଦପ୍ରଭୁ ଆପଣା ପରମେଶ୍ଵରଙ୍କୁ ଭୟ କରିବେ (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧୭:୧୯)

  5. ସେ ବ୍ୟବସ୍ଥାର ସମସ୍ତ ବାକ୍ୟ ଓ ବିଧି ପାଳନ କରିବେ (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧୭:୧୯)

  6. ସେ କିମ୍ବା ଲୋକମାନେ ନିଜ ପାଇଁ ଅଶ୍ଵ ବୃଦ୍ଧି କରିବେ ନାହିଁ (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧୭:୧୬)

  7. ସେ ମିସରକୁ ଫେରିଯିବ ନାହିଁ (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧୭:୧୬)

  8. ସେ ଅନେକ ସ୍ତ୍ରୀ ବିବାହ କରିବ ନାହିଁ (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧୭:୧୭)

  9. ସେ ନିଜ ପାଇଁ ରୂପା ଓ ସୁନା ବୃଦ୍ଧି କରିବେ ନାହିଁ (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧୭:୧୭)

  10. ସେ ଆପଣା ଭାତୃଗଣ ଉପରେ ତାହାର ହୃଦୟ ଅହଙ୍କାରୀ ହେବ ନାହିଁ (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧୭:୨୦)

  11. ସେ ଈଶ୍ବରଙ୍କ ଆଜ୍ଞାରୁ ଦକ୍ଷିଣକୁ କି ବାମକୁ ଫେରିବ ନାହିଁ (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧୭:୨୦)


Source: MacArthur Bible Commentary

एसाव (Esau)

असल में सामान्य ज्ञान इतना सामान्य नहीं है । कई फैसलों में सामान्य बात यह है कि उनका कोई मतलब नहीं है। एसाव का जीवन उन विकल्पों से भरा हुआ था जिनके लिए उसे अवश्य ही पछताना पड़ा होगा। ऐसा प्रतीत होता है कि वह एक ऐसा व्यक्ति था जिसने परिणामों पर विचार करना कठिन पाया, उस आवश्यकता को पूरा करने के लिए वह जो कुछ भी दे रहा था, यह महसूस किए बिना वह उस पल की आवश्यकता पर प्रतिक्रिया कर रहा था। एक कटोरी दाल के लिए अपने पैहिलोठेपन के अधिकार का व्यापार करना उसकी कमजोरी का सबसे स्पष्ट उदाहरण था। उसने अपने माता-पिता की इच्छा के सीधे विरोध में पत्नियों को भी चुना। उसने कठिन तरीके से सीखा।

आप जो चाहते हैं उसके लिए आप क्या विक्रय करने को तैयार हैं? क्या आप कभी-कभी खुद को उस चीज़ के लिए समझौता करने को तैयार पाते हैं जो आपको लगता है कि आपको अभी चाहिए? क्या आपका परिवार, जीवनसाथी, सत्यनिष्ठा, शरीर या आत्मा इन समझौतों में शामिल होते हैं? क्या आपको कभी-कभी ऐसा लगता है कि जब आप किसी चीज़ को पकड़ में लगे थे तो जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से छूट गए?

यदि ऐसा है, तो एसाव की तरह आपकी प्रारंभिक प्रतिक्रिया, गहरा क्रोध हो सकती है। अपने आप में यह गलत नहीं है, जब तक आप उस क्रोध की ऊर्जा को समाधान की ओर निर्देशित करते हैं, न कि समस्या के कारण के रूप में स्वयं या दूसरों की ओर। आपकी सबसे बड़ी जरूरत "अब मुझे जो चाहिए" के अलावा एक केंद्र बिंदु खोजने की है। एकमात्र योग्य केंद्र बिंदु (Focal Point)  परमेश्वर है। उसके साथ एक रिश्ता न केवल आपके जीवन को एक अंतिम उद्देश्य देगा; यह जीने के लिए एक दैनिक दिशा निर्देश भी होगा। परमेश्वर से बाइबल के पृष्ठों में मिलें। 

 

  • शक्ति और उपलब्धि : 

    • एदोमीयो के पूर्वज

    • उसके तीरंदाजी कौशल के लिए जाना जाता है 

    • विस्फोटक क्रोध के बाद माफ करने में सक्षम रहे 


  • कमज़ोरी और गलती :

  • जब उसका सामना महत्वपूर्ण निर्णय के साथ होता था, तब दीर्घकालिक प्रभाव के बजाय तत्काल आवश्यकता के अनुसार चयन किया 

  • अपने शादी के अनुचित विकल्पों द्वारा अपने माता पिता को नाराज किया 


  • जीवन से सबक :

  • परमेश्वर हमारे जीवन में समग्र उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कुछ घटनाओं की अनुमति देता है, लेकिन हम अभी भी हमारे कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं

  • परिणाम पर विचार करना महत्वपूर्ण है 

  • यह संभव है कि बहुत क्रोध आने पर भी आप पाप नहीं करे 


  • महत्वपूर्ण आयाम :

    • कहाँ: कनान

    • व्यवसाय: कुशल शिकारी 

    • रिश्तेदार: माता-पिता: इसहाक और रिबका। भाई : याकूब। पत्नियाँ:  यहूदीत, बासमत, और महलत।


  • मुख्य पद :

सब से मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी हो जिस के बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा। और ध्यान से देखते रहो, ऐसा न हो, कि कोई परमेश्वर के अनुग्रह से वंचित रह जाए, या कोई कड़वी जड़ फूटकर कष्‍ट दे, और उसके द्वारा बहुत से लोग अशुद्ध हो जाएं। ऐसा न हो, कि कोई जन व्यभिचारी, या एसाव की नाई अधर्मी हो, जिसने  एक बार के भोजन के बदले अपने पहिलौठे होने का पद बेच डाला। तुम जानते तो हो, कि बाद में जब उस ने आशीष पानी चाही, तो अयोग्य गिना गया, और आंसू बहा बहाकर खोजने पर भी मन फिराव का अवसर उसे न मिला। इब्रानियों 12:14-17


एसाव की कहानी उत्पत्ति 25-36 में बताई गई है। उसका उल्लेख मलाकी 1:2,3; रोमियों 9:13  इब्रानियों 12:16,17.


Source : NIV Life Application Study Bible.

ଏଷୌ (Esau)

ଏଷୌ

ବାସ୍ତବରେ ସାଧାରଣ ଜ୍ଞାନ ଏତେ ସାଧାରଣ ନୁହେଁ | ଅନେକ ନିଷ୍ପତ୍ତି ବିଷୟରେ ସାଧାରଣ କଥା ହେଉଛି ସେମାନଙ୍କର କୌଣସି ଅର୍ଥ ନାହିଁ | ଏଷୌର ଜୀବନ ପସନ୍ଦରେ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ଥିଲା ଯାହାକୁ ସେ ନିଶ୍ଚୟ ଅନୁତାପ କରିଥିବେ | ଏଥିରୁ ଜଣାପଡେ ଯେ ସେ ଜଣେ ବ୍ୟକ୍ତି ଯିଏ ଏହାର ପରିଣାମ ବିଷୟରେ ଚିନ୍ତା କରିବା କଷ୍ଟକର ହୋଇପଡିଥିଲେ, ସେହି ଆବଶ୍ୟକତାକୁ ପୂରଣ କରିବା ପାଇଁ ସେ ଯାହା ଦେଉଥିଲେ ତାହା ଅନୁଭବ ନକରି କ୍ଷଣର ଆବଶ୍ୟକତା ଉପରେ ପ୍ରତିକ୍ରିୟା ପ୍ରକାଶ କରିଥିଲେ | ତାଙ୍କର ଦୁର୍ବଳତାର ସବୁଠାରୁ ସ୍ପଷ୍ଟ ଉଦାହରଣ ହେଉଛି ଏକ ପାତ୍ର ମସୁର ଡାଲି ପାଇଁ ତାଙ୍କର ଜନ୍ମଗତ ଅଧିକାରକୁ ବାଣିଜ୍ୟ କରିବା | ପିତାମାତାଙ୍କ ଇଚ୍ଛାକୁ ସିଧାସଳଖ ବିରୋଧ କରି ସେ ପତ୍ନୀ ମଧ୍ୟ ବାଛିଥିଲେ। ସେ କଠିନ ଉପାୟ ଶିଖିଲେ |

ଆପଣ ଯାହା ଚାହାଁନ୍ତି ସେଥିପାଇଁ କ’ଣ ବିକ୍ରୟ କରିବାକୁ ପ୍ରସ୍ତୁତ? ବେଳେବେଳେ ତୁମେ ଯାହା ଆବଶ୍ୟକ କରୁଛ ତାହା ପାଇଁ କିଛି ବୁଝାମଣା କରିବାକୁ ଇଚ୍ଛୁକ କି? ତୁମର ପରିବାର, ଜୀବନସାଥୀ, ସତ୍ୟନିଷ୍ଠା, ଶରୀର କିମ୍ବା ପ୍ରାଣ ଏହି କାରବାରରେ ଜଡିତ କି? ତୁମେ ବେଳେବେଳେ ଅନୁଭବ କରୁଛ କି ଯେ ତୁମେ ଜୀବନର ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ଅଂଶରୁ ବଞ୍ଚିତ ହେଉଛ ଯେତେବେଳେ ତୁମେ କୌଣସି ବିଷୟକୁ ଧରିବାକୁ ଯାଉଛ?


ଯଦି ଏହା ହୁଏ, ଏଷୌ ଭଳି ତୁମର ପ୍ରାରମ୍ଭିକ ପ୍ରତିକ୍ରିୟା, ଗଭୀର କ୍ରୋଧ ହୋଇପାରେ | ନିଜେ ଏହା ଭୁଲ୍ ନୁହେଁ, ଯେପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତୁମେ ସେହି କ୍ରୋଧର ଶକ୍ତିକୁ ଏକ ସମାଧାନ ଆଡକୁ ପଠାଅ ଏବଂ ସମସ୍ୟାର କାରଣ ଭାବରେ ନିଜ କିମ୍ବା ଅନ୍ୟମାନଙ୍କ ଆଡକୁ ନୁହେଁ | ତୁମର ସବୁଠୁ ବଡ ଆବଶ୍ୟକତା ହେଉଛି “ମୁଁ ବର୍ତ୍ତମାନ ଯାହା ଚାହୁଁଛି” ବ୍ୟତୀତ ଏକ ଫୋକାଲ୍ ପଏଣ୍ଟ ଖୋଜିବା | ଏକମାତ୍ର ଯୋଗ୍ୟ କେନ୍ଦ୍ରବିନ୍ଦୁ (Focal Point) ହେଉଛି ଈଶ୍ବର | ତାଙ୍କ ସହିତ ଏକ ସମ୍ପର୍କ କେବଳ ଆପଣଙ୍କ ଜୀବନକୁ ଏକ ଚରମ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଦେବ ନାହିଁ; ଏହା ମଧ୍ୟ ବଞ୍ଚିବା ପାଇଁ ଏକ ଦୈନିକ ନିର୍ଦ୍ଦେଶାବଳୀ ହେବ | ତାଙ୍କୁ ବାଇବଲ ପୃଷ୍ଠାରେ ସାକ୍ଷାତ କର |


ଶକ୍ତି ଏବଂ ସଫଳତା:

  • ଇଦୋମୀୟମାନଙ୍କର ପୂର୍ବପୁରୁଷ

  • ତାଙ୍କର ଧନୁଯାତ୍ରା ଦକ୍ଷତା ପାଇଁ ଜଣାଶୁଣା |

  • ବିସ୍ଫୋରକ କ୍ରୋଧ ପରେ କ୍ଷମା କରିବାକୁ ସମର୍ଥ |


ଦୁର୍ବଳତା ଏବଂ ଭୁଲ:

  • ଯେତେବେଳେ ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ନିଷ୍ପତ୍ତିର ସମ୍ମୁଖୀନ ହୁଏ, ଦୀର୍ଘ ଦୂରତା ପ୍ରଭାବ ଅପେକ୍ଷା ତୁରନ୍ତ ଆବଶ୍ୟକତା ଅନୁଯାୟୀ ବାଛିବାକୁ ଲାଗିଲେ |

  • ଖରାପ ବିବାହ ପସନ୍ଦ ଦ୍ୱାରା ତାଙ୍କ ପିତାମାତାଙ୍କୁ କ୍ରୋଧିତ କଲେ |


ତାଙ୍କ ଜୀବନରୁ ଶିକ୍ଷା:

  • ଈଶ୍ବର ଆମ ଜୀବନର କିଛି ଘଟଣାକୁ ତାଙ୍କର ସାମଗ୍ରିକ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ପୂରଣ କରିବାକୁ ଅନୁମତି ଦିଅନ୍ତି, କିନ୍ତୁ ଆମେ ତଥାପି ଆମର କାର୍ଯ୍ୟ ପାଇଁ ଦାୟୀ |

  • ପରିଣାମଗୁଡିକୁ ବିଚାର କରିବା ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ |

  • ବହୁତ କ୍ରୋଧ ହେବା ସମ୍ଭବ କିନ୍ତୁ ତଥାପି ପାପ କର ନାହିଁ |


ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ପରିସଂଖ୍ୟାନ:

  • କେଉଁଠାରେ: କିଣାନ

  • ବୃତ୍ତି: ଦକ୍ଷ ଶିକାରୀ |

  • ସମ୍ପର୍କୀୟ: ପିତାମାତା: ଇସ୍ହାକ ଏବଂ ରିବିକା | ଭାଇ: ଯାକୁବ | ପତ୍ନୀ:  ଯିହୁଦୀତ୍, ବାସମତ୍, ଏବଂ ମହଲତ୍ |


ମୁଖ୍ୟ ପଦ:

ସମସ୍ତଙ୍କ ସହିତ ଶାନ୍ତିରେ ରହିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କର, ପୁଣି ଯେଉଁ ପବିତ୍ରତା ବିନୁ କେହି ପ୍ରଭୁଙ୍କ ଦର୍ଶନ ପାଇବ ନାହିଁ, ସେଥିର ଅନୁସରଣ କର, କାଳେ କେହି ଈଶ୍ଵରଙ୍କ ଅନୁଗ୍ରହରୁ ପତିତ ହୁଏ ଅବା କୌଣସି ତିକ୍ତତାର ମୂଳ ଅଙ୍କୁରିତ ହୋଇ ବଢ଼ି ଉଠି ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କର ଅନିଷ୍ଟ କରେ, ଆଉ ତଦ୍ଦ୍ଵାରା ଅନେକେ କଳୁଷିତ ହୁଅନ୍ତି; କିଅବା କେହି ପାରଦାରିକ, ବା ଥରକର ଖାଦ୍ୟ ନିମନ୍ତେ ଆପଣା ଜ୍ୟେଷ୍ଠାଧିକାର ବିକ୍ରୟକାରୀ ଯେ ଏଷୌ, ତାହା ପରି ବିଧର୍ମାଚାରୀ ହୁଏ, ଏ ବିଷୟରେ ଅତି ଜାଗ୍ରତ ହୁଅ। ତୁମ୍ଭେମାନେ ତ ଜାଣ ଯେ, ପରେ ସେ ଆଶୀର୍ବାଦର ଅଧିକାରୀ ହେବା ନିମନ୍ତେ ଇଚ୍ଛା କଲେ ସୁଦ୍ଧା ଅଗ୍ରାହ୍ୟ ହେଲା, ପୁଣି ଅନୁତାପ କରିବା ନିମନ୍ତେ ଅଶ୍ରୁପାତ ସହ ସଯନିରେ ଚେଷ୍ଟା କଲେ ହେଁ ତାହା କରିବା ପାଇଁ ଆଉ ସୁଯୋଗ ପାଇଲା ନାହିଁ। ଏବ୍ରୀ ୧୨:୧୪-୧୭


ଏଷୌର କାହାଣୀ ଆଦିପୁସ୍ତକ ୨୫-୩୬ ରେ କୁହାଯାଇଛି | ତାଙ୍କୁ ମଲାଖି ୧: ୨, ୩; ରୋମୀୟ ୯:୧୩; ଏବ୍ରୀ ୧୨:୧୬,୧୭ ରେ ମଧ୍ୟ ଉଲ୍ଲେଖ କରାଯାଇଛି।