666 का क्या अर्थ है?
What is the meaning of 666?
प्रकाशितवाक्य अध्याय 13 का अन्त, पशु (मसीह विरोधी) और उसके झूठे भविष्यद्वक्ता के ऊपर चर्चा करता है, जहाँ हम ऐसा पढ़ते हैं, "ज्ञान इसी में है : जिसे बुद्धि हो वह इस पशु का अंक जोड़ ले, क्योंकि वह मनुष्य का अंक है, और उसका अंक छ: सौ छियासठ है" (वचन 18)। किसी तरह, सँख्या 666 पशु की पहचान के लिए एक संकेत है। प्रकाशितवाक्य 13 में "पशु के अंक" (वचन 16-17) का उल्लेख मिलता है और लोकप्रिय विचार अक्सर इस अंक को 666 के साथ जोड़ता है; यद्यपि, पशु का चिन्ह अर्थात् अंक और 666 दो भिन्न बातों के प्रगट होने का आभास देते हैं। पशु की छाप कुछ ऐसी बात है जिसे लोगों को कुछ भी खरीदने और बेचने के लिए प्राप्त करनी चाहिए। सँख्या 666 किसी तरह से पशु/मसीह विरोधी के साथ "उसके" अंक के रूप में जुड़ी हुई है। नि:सन्देह, उसका अंक उसकी छाप का अंश हो सकती है, परन्तु बाइबल एक निश्चित सम्पर्क को प्रदान नहीं करती है।
रूचिपूर्ण बात यह है कि प्रकाशितवाक्य की पुस्तक की कुछ प्राचीन यूनानी पाण्डुलिपियों में, सँख्या 666 के स्थान पर 616 के रूप में दी गई है। पाण्डुलिपि आधारित प्रमाण 666 के पक्ष अधिक दृढ़ता से पाए जाते हैं, परन्तु 616 के वैकल्पिक को पठ्न की गणना करने से पहले हमें थोड़ी देर के लिए रूकना चाहिए।
अंक 666 किसी तरह से पशु की पहचान करेगा, परन्तु 666 का अंक पशुओं के साथ कैसे जुड़ा हुआ है, यह प्रकाशितवाक्य 13:18 का मुख्य सार नहीं है। परमेश्वर और उसकी पूर्णता के सन्दर्भ में बाइबल अक्सर सँख्या 7 का उपयोग करता है। सँख्या 6 को मनुष्य के लिए सोची गई है, जिसे छठे दिन बनाया गया था और जो सदा के लिए परमेश्वर की "महिमा से रहित" हो गया है। पशु/मसीह विरोधी परमेश्वर की तरह होने का प्रयास करेगा। वह कदाचित् परमेश्वर होने का भी दावा करेगा। परन्तु, जैसा कि सँख्या 6 सँख्या 7 से कम हो जाती है, वैसे ही पशु/मसीह विरोधी, अपनी छह के "त्रिएकत्व" के साथ, अन्त में परमेश्वर को पराजित करने के प्रयास में विफल हो जाएगा।
Source: gotquestion.org