BN

रूत और नाओमी

 Ruth and Naomi

बाइबल में कई लोगों की कहानियाँ इतनी बारीकी से एक साथ बुनी गई हैं कि वे लगभग न पृथक करने योग्य हैं। हम व्यक्तिगत रूप से उनके बारे में जितना जानते हैं, उससे कहीं अधिक हम उनके संबंधों के बारे में जानते हैं। और एक ऐसे युग में जो व्यक्तिवाद की पूजा करता है, उनकी कहानियाँ अच्छे रिश्तों के सहायक मॉडल बन जाती हैं। नाओमी और रूत जीवन के इस सम्मिश्रण के सुंदर उदाहरण हैं। उनकी संस्कृतियां, पारिवारिक पृष्ठभूमि और उम्र बहुत अलग थीं। सास और बहू के रूप में, उनके पास शायद तनाव के उतने ही अवसर हैं जितने कोमलता के थे । और फिर भी वे एक दूसरे से बंधे हुए थे।

उन्होंने गहरा दुख, एक-दूसरे के लिए बहुत स्नेह, और इस्राएल के परमेश्वर के प्रति एक प्रमुख प्रतिबद्धता साझा की। और फिर भी जितना वे एक-दूसरे पर निर्भर थे, उन्होंने एक-दूसरे के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में एक-दूसरे को स्वतंत्रता भी दी। नाओमी रूत को उसके परिवार के पास लौटने देना चाहती थी। पर रूत इस्राएल जाने के लिए अपनी मातृभूमि छोड़ने को तैयार थी। नाओमी ने रूत की शादी बोअज़ से करने में भी मदद की, हालाँकि इससे उनका रिश्ता बदल जाएगा।

परमेश्वर उनके अंतरंग संचार के केंद्र में था। रूत ने नाओमी के द्वारा इस्राएल के परमेश्वर को जाना। वृद्ध महिला ने रूत को परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते के सभी आनंद और पीड़ा को देखने, सुनने और महसूस करने की अनुमति दी। आप कितनी बार महसूस करते हैं कि परमेश्वर के बारे में आपके विचारों और प्रश्नों को एक करीबी रिश्ते से बाहर रखा जाना चाहिए? आप कितनी बार अपने मित्रों के जीवनसाथी के साथ परमेश्वर के बारे में अपने असंपादित विचार साझा करते हैं? परमेश्वर के साथ अपने संबंधों के बारे में खुलकर बात करने से दूसरों के साथ हमारे संबंधों में गहराई और घनिष्ठता आ सकती है।


  • ताकत और उपलब्धियां :

    • एक रिश्ता जहां सबसे बड़ा बंधन परमेश्वर में विश्वास था

    • एक मजबूत पारस्परिक प्रतिबद्धता का रिश्ता

    • एक रिश्ता जिसमें प्रत्येक व्यक्ति ने दूसरे के लिए सबसे अच्छा करने की कोशिश की

  • जीवन से सबक :

    • एक रिश्ते में परमेश्वर की जीवित उपस्थिति उन मतभेदों को दूर करती है जो अन्यथा विभाजन और वैमनस्य पैदा कर सकते हैं

  • महत्वपूर्ण आयाम :

    • कहाँ : मोआब, बेथलहम

    • व्यवसाय : पत्नियाँ, विधवाएँ

    • रिश्तेदार : एलीमेलेक, महलोन, किलयोन, ओरपा, बोअज़

 

मुख्य पद : रूत बोली, तू मुझ से यह बिनती न कर, कि मुझे त्याग वा छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊंगी; जहां तू टिके वहां मैं भी टिकूंगी; तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा; जहां तू मरेगी वहां मैं भी मरूंगी, और वहीं मुझे मिट्टी दी जाएगी। यदि मृत्यु छोड़ और किसी कारण मैं तुझ से अलग होऊं, तो यहोवा मुझ से वैसा ही वरन उस से भी अधिक करे। रूत 1:16,17

 

उनकी कहानी रूत की पुस्तक में वर्णित है। रूत का उल्लेख मत्ती 1:5 में भी किया गया है।

Source : NIV Life Application Bible.

  


1 comment:

Kindly give your suggestions or appreciation!!!