सिद्धता / पूर्णता के तीन चरण
सिद्ध संबंध - हम अनंत सिद्ध मसीह के साथ अपने अनंत मिलाप के कारण परिपूर्ण/ सिद्ध हैं। जब हम उसके संता बन जाते हैं, तो हमें घोषित किया जाता है कि हम "दोषी नहीं" है। और मसीह, परमेश्वर के प्रिय पुत्र ने हमारे लिए जो किया है इस कारण हमें धर्मी घोषित किया जाता है। यह सिद्धता पूर्ण और अपरिवर्तनीय है, और यह सिद्ध संबंध है जो गारंटी देता है कि हम एक दिन "पूरी तरह से परिपूर्ण" होंगे। देखें कुलुस्सियों 2:8-10; इब्रानियों 10:8-1
सिद्ध/पूर्ण प्रगति - हम आध्यात्मिक रूप से विकसित और परिपक्व हो सकते हैं क्योंकि हम मसीह पर विश्वास करना जारी रखते हैं, उसके बारे में अधिक सीखते हैं, उसके समीप आते हैं, और उसकी आज्ञा का पालन करते हैं। हमारी प्रगति परिवर्तनशील है (हमारे रिश्ते के विपरीत) क्योंकि यह हमारे दैनिक चलने पर निर्भर करता है - जीवन में कभी-कभी हम अन्य समय की तुलना में अधिक परिपक्व होते हैं। परन्तु यदि हम पूर्णता/ सिद्धता की ओर बढ़ रहे हैं तो हम "आगे बढ़ते" है (फिलिप्पियों 3:12)। ये भले काम हमें सिद्ध नहीं करते; बल्कि, जैसे परमेश्वर हमें सिद्ध करता है, हम उसके लिए भले काम करते हैं। देखें फिलिप्पियों 3:1-15
पूरी तरह से सिद्ध - जब मसीह हमें अपने अनंत राज्य में ले जाने के लिए वापस आएंगे, तो हम महिमान्वित होंगे और पूरी तरह से परिपूर्ण/ सिद्ध होंगे। देखें फिलिप्पियों 3:20,21। पूर्णता/ सिद्धता के सभी चरण मसीह में विश्वास और उसके द्वारा किए गए कार्यों पर आधारित हैं, न कि हम उसके लिए क्या कर सकते हैं। हम अपने आप को पूर्ण नहीं कर सकते;केवल परमेश्वर ही हमारे अंदर और हमारे द्वारा कार्य कर सकता है कि "इसे मसीह यीशु के दिन तक वह पूरा करेगा" (फिलिप्पियों 1:6)।
Source : NIV Life Application Bible.
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